Wednesday, June 10, 2009

CHILD AS A UNIQUE BEING

अभिप्रेरणा(Motivation)=.लक्ष्य आधारित व्यहार का उर्जाकरण, .प्रोत्साहित होना/करना ३.गुड-"कार्य को आरम्भ+जारी+नियमित रखने- प्रक्रिया ४.व्यक्ति की क्रिया/ बल को घटी बढाती, A-आन्तरिक क्रिया, i.e . पैदा नही कर सकते, B-अभि० एक मनोवैजानिक क्रिया: आन्तरिक/बाह्ये उत्तेजनाओं से उत्पन्न, C-अभिप्रेरणा एक मनोव्यवाहरिक क्रिया: आन्तरिक अवस्था, देखा नही जा सकता, D-हमारा व्यवहार/दिशा निर्धारित करती: अच्छा/बुरा, उग्र, शांत, सफल व्यक्तित्व, E-सकारात्मक/नकारात्मक-अभिप्रेरणा: (सूसंगत,प्रेम, पर्यटन, पुस्तकालय,खेल,Model) / (कुसंगत,क्रोध, मूल्यांकन, पीटना, सज़ा देना) F-आन्तरिक(प्रकाशित)/बाह्र(द्वितीय) -बूख-प्यास-मल-मूत्र-दर्द-सुख-दुःख-आराम-शौंक-लक्ष्य बाह्र= वातावरण, परिणाम, पुरिस्कर, दंड, प्रतियोगिता, प्रशंसा, निंदा, नौकरी, मज़बूरी, अभिप्रेरणा के स्त्रोत: 1-आवश्कताएँ= जैविक/सामाजिक/राजनैतिक/सांस्कृतिक 2-चालक(Drives)-अव्शाक्ताओं से तनाव उत्पन्न =तनाव=चालक को जन्म देता चालक जैसे= 3-प्रोत्साहन/उद्दीपन(Incentives)-जिससे चालको की पूर्ति/ या शांत होते हैं,
Needs= जल ------ Oxygen - नींद/आराम - मलमूत्र --- काम ---- धन ---- भोजन --- तन ढकना ----- सुरक्षा
चालक = प्यास ----- स्वास ---- थकावट ---- लघुशंका - कामेच्छा - नौकरी --- बुख -- सर्दी गर्मी/गर्मी --- आवास

उद्दीपन= पानी पीना - हवा ---- सोना/बैठना - मलत्याग - सम्भोग - तनख्वा -- रोटी ---- कपड़ा ----- माकन/महलशिक्षा में अभिप्रेरणा की भूमिका-१-स्वस्थ प्रतियोगिता=अधिक ज्ञान, २-स्वस्थ अभिप्रेरणा=पुस्तकों पर ध्यान, ३-अच्छा व्यवहार=सही लक्ष्य, ४-सामुदिक/सामाजिक विकास, ५-ज्ञान में तीव्रता, ६-अनुशासन/उत्तम गुण, कक्षा में अभिप्रेरित करने की विधिं- १-रोचक पाठक सामग्री, २-आकांशा स्तर को उठाना/सकारात्मक सोच पैदा करना, ३-समूह कार्ये(team work), ४-पढ़ाई का महत्त्व, ५-पुरुस्कार घोषणा, ६-खेल/मॉडल/वैज्ञानिक विधिओं, ७-वैज्ञानिक कार्य, ८-सांस्कृतिक, ९-स्पोर्ट्स, १०-चित्रकला, ११-पर्यटन, १२-स्वस्थ प्रतियोगिताएं, १०-पाठ्य सहगामी क्रिया=खेल/quiz/वाद विवाद, ११-स्वस्थ वातावरण=सफाई+लैब+लाइब्रेरी, आत्म संप्रत्यय (SELF CONCEPT)= अपनी क्षमताओं का प्रयोग, ऐसे अनुभव जिनका हमें ज्ञान होता, "मै एक ऐसा व्यक्ति हूँ" , "मुझसे ये नही होगा", "मै आलसी हूँ", लेकिन "मै थक चुका हूँ" self concept नही है, Biological Self (जैविक आत्म संप्रत्यय)- जैसे गुर्दा या उसकी बीमारी जविक self है, लेकिन उसमे बीमारी होने का ज्ञान होना self concept hai, आदर्श आत्मन(Idle Self)= मै क्या बनना चाहता हूँ, सार्वजानिक आत्मन(public self)= लोगों की मेरे बारे में सोच, वास्तविक आत्मन(real self)= मेरी अपने लिए वास्तविक सोच, आत्म छवि(self image)=अपने मन में अपनी छवि बनाना, इब्राहीम मेस्लो आवश्यकता पदानुक्रम (hierarchy) सिधांत: A- व्यक्तिगत(1-शारीरिक/2-सुरक्षा) B-सामाजिक(3-प्रेम सम्बधता/4-सम्मान) C- बौधिक-अत्म्वास्त्विकरण/ज्ञानात्मक/सौन्द्रयात्मक- अभीवृत्तियाँ (attitude)= रॉबर्ट बैरन & डॉन -अनुसार अभिवृत्तियन=१-संज्ञानात्मक, २-भावनात्मक तथा ३-व्यवहारात्मक होती, अभिवृत्तियन क्या हैं = १-वस्तुओं का सीधा मूल्यांकन, २-व्यक्ति की तत्परता की विशेषता ३-भावों तथा क्रियाओं का समुच्ये है, अभीवृत्तियों की अवधि= लम्बी अवधि=समाज,देश, माँ, बाप, रिश्तेदार, प्रेम सम्बन्ध, गुरु, लघु अवधि= दोस्त, Movie, नए लोग, पर्यटन, अभीवृत्तियों को प्रभावित करने वाले तत्व= A. परिवार B. सन्दर्भ समूह (सांगत) C. व्यक्तिगत/सामाजिक संपर्क D. संचार मध्यम E. सांस्कृतिक F. पर्यावरण G. जातिये/राष्ट्रिये, अभिरुचि - i. व्यक्त अभिरुचि=जो बछा अपने मुह से व्यक्त करता, ii. प्रकट=बच्चा बोलता नही पर प्रकट-जैसे क्रिकेट iii. परीक्षित=जो परीक्षा से पता चले iv. खोज संबन्धी v. अभिरुचि और मनोवृत्ति-हमेशा सकारात्मक होती जबकि मनोवृत्ति (+ / -) हो सकती ; अभिरुचि विकास के कारक= i. आयु-बच्चों और बड़ों की रुचियाँ ii. लिंग (यौन भेद)- लड़कों / लड़किओं की रुचियाँ, iii. बुद्धि-तीव्र/सामान्ये/मंद के अलग अलग रुचियाँ, iv. सामाजिक/सांस्कृतिक कारक-जात, देश, राज्य, भौगोलिक; अभिरुचि और शिक्षा= रूचि अनुकूक शिक्षा देना चाहिए- १-वातावरण-रोचक विधिं ३-अनुकूल पाठ्यक्रम, ४-उचित syllabus, ५-बालकों को लक्ष्ये से अवगत ६-चित्र, मॉडल, चार्ट, पर्यटन, चलचित्र, प्रक्रतिक; मनोवृत्ति= उत्तेजनाओं के प्रति अनुक्रिया/मनोदशा ; मन की वृत्तिओं पर काबू पाना ही योग है, मनोवृत्ति परिभाषा= विशेषताएँ=१-अर्जित होती, २-मानसिक उन्मुखता (+/-)अनुक्रिया करने को प्रेरित करती हैं - ३-मनोवृत्तियन गत्यात्मक(dyanamic) होती- परिवर्तनशीलता होती, ४-व्यवहार को प्रभावित करती, ५-सकारात्मक/नकारात्मक; मनोवृत्ति के (components)संघटक/तत्व= 1- संघ्यानात्मक (पिता को देखकर सम्मान) 2- भावात्मक (शिक्षक के प्रति श्रद्धा) 3- क्रियात्मक-(शिक्षक के पैर छूना); बुदिध अव्धार्नात्मक(Perceptual) समझ = Intelligence=बुदिध क्या है ? =जटिल विचार, अनुभव से सीखना, जानवर से भिन्नता, बहु आयामिये सोच, बाधाओं पर विजय, संवेगों पर विजय, तकनिकी ज्ञान, artificial ज्ञान, तर्क क्षमता, प्रत्यक्षीकरण योग्यता, मानसिक तत्परता, बुदिध मापन: परीक्षा, IQ Test, Interview, गनितिये परीक्षा, विज्ञानिक परिक्षण, Medical जाँच; बिने तथा साइमन 1950 (बुधिध अवधारणा)= चार तत्व माने= १-दिशा / लक्ष्य निर्धारण की योग्यता, २-समस्या समाधान करने की योग्यता, ३-समस्या पहिचानना, ४-आत्म मूल्यांकन; वेशलर 1939(बुधिध अवधारणा)= प्रचलित है, १-नई परिस्थिति अनुकूलता, २-अनुभव प्रक्षिशन से बुदिध, राबर्ट स्टर्नबर्ग 1997= १-जब व्यक्ति पर्ववरण के अनुकूल नही ढल पता तो पर्यावरण को अपने अनुकूल ढलने की कोशिश करता है; २-पर्यावरण हमेशा बदलता रहेता है इसीलिए intellegence भी बदलती; Charls Spearman(1927) = बूदधि में सामान्य=g, विशिष्ट=s, करक होते, सभी बौधिक क्रियाओं में एक उभयनिष्ठ करक होता =g कहलाता, g=मानसिक उर्जा करक, किन्ही दो कारकों के बिच घनात्मक सहसंबंधों को g पर आरोपित किया जाता, अन्ये कारकों को s1- s2- s3 आदि कहा जाता, मनो पारिस्थितिकी तंत्र सिद्धांत= इसके वातावरण को चार भागों में बनता गया १-सूक्षमतंत्र=व्यवहार,क्षमताएं-शारीरिक/ व्यक्तिगत) २-मध्य तंत्र= विद्यालय, घर, आस पड़ोस, शिशु केन्द्र; ३-बाह्ये तंत्र=सामाजिक/ सांस्कृतिक/ कार्यस्थल, ओउप्चारिक संस्थ्यें, समुदाई, लोक कल्याण संस्थैएँ, स्वस्थ्ये संस्थ्यें; ४-वृह्द्तंत्र= सांस्कृतिक मुल्ये, कानून, रीती रिवाज़, संसाधन, राष्ट्रिये हस्तक्षेप, राजनैतिक मुल्ये आदि; (UNIT-II) संघ्यानात्मक सुचना प्रक्रियाकरण दृष्टिकोण - सुचना प्रक्रियाकरण क्या है ? = संज्ञान (Congnition) क्या है ?= ज्ञान अर्जन की प्रक्रिया मस्तिष्क के सेरेब्रल कोर्टेक्स में होती, सुचना प्रक्रियाकरण क्या है ? = सुचना प्राप्त करके भली भांति मंथन करके निश्चित सुचना ज्ञान या अनुभव प्राप्त करने का प्रयत्न किया जन = INPUT --> PROCESS --> OUTPUT; सुचना प्रक्रियाकरण सिद्धांत = नई अनुभव लेकर --> समस्या का हल ढूँढना --> अपने व्यहार में परिवर्तन लेन हेतु सूचनाओं का प्रक्रियाकरण; आत्किंस तथा शिक्रिन (1968-71)- ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया, यह दिन चरणों में होता: १-इन्द्रियानुभुती पंजीकरण स्तर (Neuro Sensory Memory); 2-अल्पकालीन समृति स्तर (Temporary Memory), ३-दीर्ध कालीन समृति = (Permanent Memory); Computer से मिलता जुलता; E. E. Smith सुचना मॉडल - उन्होंने चयनात्मक प्रातक्रिया काल (Choice Reaction Time या CRT) अनुसंधान करके 1968 में = सुचना (Info.) => पूर्व प्रक्रमण => वर्गीकरण (classification) => अनुक्रिया चयन (response selection) => अनुक्रिया कार्यान्वन।
UNIT-II (2) - संज्ञानात्मक विकास दृष्टिकोण= जीन पिआजे (1896-1980) संज्ञानात्मक विकास सिद्धांत: (Swiss Philosopher- Nature Scientist)= Nobel Prize Winner, संज्ञानात्मक विकास का ग्यात्मक मॉडल (kanstruktivision) प्रस्तुत किया, 1-बालक स्याम ज्ञान अर्जन करता, २-स्वयं की बोद्धिक क्रियाओं द्वारा बोधिक विकास करता, ३-बालक अपने चारों और से सीखता, ४-बालक सतत नए कौशल सीखता, ५-संज्ञानात्मक विकास = चिंतन में गुणात्मक परिवर्तन, स्कीमा = बालक विश्व ज्ञान में स्कीमा अर्थात ऐसी मानसिक संरचना जो व्यक्ति के मस्तिष्क में सूचनाओं को संगठित तथा व्याख्यायित करने हेतु विद्यमान होती है, सरल स्कीम / जटिल स्कीम; स्कीम के संशोधन के २ प्रतिक्रियें : A. आत्मसातीकरण (assimilation) = (नए ज्ञान + पुराने ज्ञान)= पूर्ण ज्ञान, B. समायोजन (Assimilation) = नई समस्या पर स्कीम का प्रयोग करता - नई समस्या => संज्ञानात्मक असंतुलन उत्पन्न => (आत्मसातीकरण + समयोतन का प्रयोग) => यह पुरी प्रक्रिया सम्यधारण कहेलाती; जीन पिआजे संज्ञानात्मक विकास हेतु चार अवस्थाएं= १-संवेदी पेशिये अवस्था=(0-2 Yr)- SENSORY MOTOR STAGE= स्पर्श, चुना, reflex, 2-प्राक्सम्प्र्य्त्यात्मक अवस्था= (2-7 वर्ष)= (i) प्रक्सम्प्र्त्यात्मक- (2-5 वर्ष)=वस्तुएं सामने न होते हुए भी मन में उनकी छवि, (ii) अंतर्दार्शिये अवधि =(4-7 साल) बहुत कुछ जानते पर जानकारी का प्रयोग कहाँ करना नही पता होता + तार्किक क्षमता नही होती; ३-मूर्त संक्रियात्मक किया = (7-12 साल)= सामने उपस्थित वस्तुओं में तर्क लगा सकता लेकिन absent वस्तुओं पर नही,